बॉलीवुड में खलनायक के रूप में की थी एंट्री, सुपरस्टार बनने के बाद बन गया था सन्यासी…

बॉलीवुड में खलनायक के रूप में की थी एंट्री, सुपरस्टार बनने के बाद बन गया था सन्यासी…

Divyansh Tomar

October 6, 2017
Hindi

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6 अक्तूबर को अपनी तरह के इकलौते, शानदार और ज़बरदस्त अभिनेता विनोद खन्ना का जन्मदिन होता है। इसी साल अप्रैल में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। 70 वर्षीय खन्ना कैंसर से पीड़ित थे। गुरुदासपुर से लोकसभा के सांसद रहे अभिनेता विनोद खन्ना के बारे में आइये जानते हैं कुछ खास दिलचस्प बातें।

विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ। वहां उनके पिता का टेक्सटाइल, डाई और केमिकल का बिजनेस था। विनोद खन्ना पांच भाई बहनों ( 2 भाई, 3 बहनें) में से एक हैं। आजादी के समय हुए बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से मुंबई आकर बस गया।

कहा जाता है कि विनोद खन्ना के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा फ़िल्मों में जाए। लेकिन, उनकी जिद के आगे वो झुके और उन्होंने दो साल का समय विनोद को दिया। उन्होंने इन दो सालों में कड़ी मेहनत की और बतौर अभिनेता खुद को स्थापित कर लिया!

विनोद को सुनील दत्त ने ‘मन का मीत’ (1968) में विलेन के रूप में लांच किया। हीरो के रूप में स्थापित होने के पहले विनोद ने ‘आन मिलो सजना’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘सच्चा झूठा’ जैसी फ़िल्मों में सहायक या खलनायक के रूप में काम किया। गुलजार द्वारा निर्देशित ‘मेरे अपने’ (1971) से विनोद खन्ना को चर्चा मिली और उनका समय शुरू हो गया।

मल्टीस्टारर फ़िल्मों से विनोद को कभी परहेज नहीं रहा और वे उस दौर के स्टार्स अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, सुनील दत्त आदि के साथ फ़िल्में करते रहे। अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया। ‘हेराफेरी’, ‘खून पसीना’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ ब्लॉकबस्टर साबित हुईं।

सक्सेस मिलने के बाद 1982 में विनोद खन्ना ने अचानक विनोद अपने आध्यात्मिक गुरु रजनीश (ओशो) की शरण में चले गए और ग्लैमर की दुनिया को उन्होंने अलविदा कह दिया। विनोद के अचानक इस तरह से चले जाने के कारण उनकी पत्नी गीतांजली नाराज हुई और दोनों के बीच तलाक हो गया। विनोद और गीतांजली के दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं।

1990 में विनोद ने कविता से शादी की। कविता और विनोद का एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा है। फ़िल्मों के प्रति प्यार विनोद को फिर फ़िल्मों में खींच लाया और 1987 में उन्होंने ‘इंसाफ’ फ़िल्म से वापसी की। चार-पांच साल तक नायक बनने के बाद विनोद धीरे-धीरे चरित्र भूमिकाओं की ओर मुड़ गए।

विनोद खन्ना अभिनेता होने के अलावा, निर्माता और सक्रिय राजनेता भी रहे हैं। वे भाजपा के सदस्य थे और कई चुनाव जीत चुके थे। वे मंत्री भी रहे। 2015 में शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्म दिलवाले’ में नजर आने के बाद उन्होंने इसी साल अप्रैल में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘एक थी रानी ऐसी भी’ में भी अभिनय किया था। यह उनकी आखिरी फ़िल्म थी, जो राजमाता विजय राजे सिंधिया पर बनी थी जिसे गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने लिखा था! 1999 में विनोद खन्ना को उनके इंडस्ट्री में योगदान के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था।

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